राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को उत्तराखंड बहुउद्देशीय प्रारंभिक कृषि सहकारी ऋण समिति कर्मचारी केंद्रित सेवा नियमावली 2024 को मंजूरी दे दी है।
राज्य गठन के 25 वर्षों बाद लागू होने वाली यह नियमावली सहकारी समितियों और उनके कर्मचारियों के लिए एक नया युग शुरू करने जा रही है।
इस नियमावली के तहत घाटे में चल रही बहुउद्देशीय सहकारी समितियां को लाभ की स्थिति में पहुंचने के लिए एक नई उम्मीद की किरण जगी है ।
इसके साथ ही बहुउद्देशीय सहकारी समितियां के कर्मचारियों का नियमित वेतनमान सुनिश्चित होगा और समितियों में पारदर्शिता व कार्यकुशलता को बढ़ावा मिलेगा।
उत्तराखण्ड के गठन के बाद से एमपैक्स में कार्यरत कर्मचारियों की सेवाओं को नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश की 1976 की नियमावली लागू थी। राज्य के विशेष संदर्भ और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखण्ड सहकारी समिति अधिनियम, 2003 की धारा 122 ‘क’ के तहत यह नई नियमावली तैयार की गई है। यह कदम सहकारी समितियों को सशक्त बनाने और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड की बहुउद्देशीय सहकारी समतियां अब लाभ की स्थिति में देखने को मिलेगी जिससे बहुउद्देशीय सहकारी समितियों को नई जिंदगी मिलेगी। उत्तराखंड में कई बहुउद्देशीय प्रारंभिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) घाटे से जूझ रही हैं, जिसके कारण सचिव, अकाउंटेंट और विकास सहायकों को आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। नई नियमावली के लागू होने से घाटे में चल रही समितियों को सरकार की ओर से वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। यह सहायता कुछ वर्ष तक जारी रहेगी, जब तक समितियां अपनी परफॉर्मेंस में सुधार कर घाटे से उबरकर सामान्य स्थिति में नहीं आ जातीं। इसके साथ ही, समितियों के लाभ के आधार पर कर्मचारियों के वेतनमान में वृद्धि भी की जा सकेगी, जो कर्मचारियों के लिए एक प्रोत्साहन का काम करेगा और कर्मचारी और भी अधिक मेहनत करेंगे ।
