धर्मनगरी हरिद्वार में पिछले करीब एक दशक में अवैध झुग्गी बस्तियां काफी बढ़ गई हैं। इनमें रह रहे हजारों लोग सरकारी योजनाओं का लाभ तो उठा ही रहे हैं साथ ही ये इलाके अनैतिक और अवैध गतिविधियों का अड्डा भी बने हुए हैं।
हरिद्वार घनी आबादी वाला शहर है। इसके अलावा यहां फ्लोटिंग पापुलेशन भी बड़ी तादाद में है। पर्यटन और धार्मिक कारोबार में रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों के लोग हरिद्वार का रुख करते हैं। हालांकि प्रशासन की अनदेखी के चलते पिछले कुछ सालों में हरिद्वार में अवैध बस्तियों की बाढ़ आ गई है। सिर्फ शहरी क्षेत्र में ऐसी दर्जनों बस्तियां हैं जिनमें हजारों लोग बिना सत्यापन के रह रहे हैं। पुलिस की ओर से चलाए जा रहे सत्यापन अभियान में हाल ही में इन इलाकों में कई संदिग्ध तो एक बांग्ला देसी महिला का हरिद्वार में रहकर हर की पैड़ी पर रोजगार किए जाने का मामला भी सामने आया है। हाल ही में डीएम ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की अवैध बस्तियों के सत्यापन के लिए कमेटी भी बनाई है।
बाहरी राज्यों से छोटे-मोटे रोजगार की तलाश में हरिद्वार का रुख करते हैं और फिर यहां झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहने लगते हैं। लेकिन देखते ही देखते उनके पास लोकल राशन कार्ड, आधार कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज और बिजली पानी के कनेक्शन तक पहुंचे जाते हैं। जानकार बताते हैं कि स्थानीय नेता निचले स्तर के कर्मचारियों से साठगांठ अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए अवैध रूप से रह रहे लोगों को संरक्षण देते हैं।
जिले में चल रहे सत्यापन अभियान के दौरान सैकड़ो संदिग्धों और अपराधिक इतिहास वाले लोगों को चिन्हित किया गया है। इतना ही नहीं एक बांग्लादेशी महिला का भी पिछले 10 साल से हरिद्वार में रहना सामने आया है। ऐसे में चुनाव जीतने के लिए संदिग्धों को संरक्षण दिया जाना हरिद्वार की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
