रामनगर में 5 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया कन्वेंशन सेंटर, चार साल में ही बदहाल हो गया है,चारों ओर उगी झाड़ियां लापरवाही बयां कर रही है|बतादे नैनीताल जिले के रामनगर के सांवल्दे क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बना कन्वेंशन सेंटर आज वीरान पड़ा है. सेंटर अब जंगल में तब्दील होता नजर आ रहा है. यहां बने भवन सरकारी सिस्टम की उदासीनता और लापरवाही की तस्वीर बयां कर रहे हैं.
आखिर क्यों इस बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट को शुरू करने में सरकार नाकाम रही? क्यों 5 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिला? चलिए इसकी जानकारी से आपको रूबरू करवाते हैं.
बता दें कि रामनगर के सांवल्दे में 5 करोड़ रुपए की लागत से उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की केंद्र वित्त पोषित योजना के तहत कन्वेंशन सेंटर बनाया गया था, जो आज लावारिस हालत में पड़ा हुआ है. बीती 13 जनवरी 2021 को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इसे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में इसे जनता को समर्पित किया था. 4 साल बीत चुके हैं और अब तक यह एक बार भी उपयोग में नहीं लाया गया. अब ये कन्वेंशन सेंटर चारों ओर से झाड़ियों से घिर गया है.
इस सेंटर को जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों, कॉर्पोरेट मीटिंग और सेमिनार्स के लिए विकसित किया जाना था. इससे युवाओं को रोजगार भी मिलता और पर्यटन को बढ़ावा मिलता, लेकिन हकीकत ये है कि अफसरों की बेरुखी और सरकारी अनदेखी के चलते यह इमारत बस एक खंडहर बनकर रह गई है, जिसे लेकर राज्य आंदोलनकारी ने सरकार को घेरा है.
उम्मीद थी कि इससे क्षेत्र का विकास होगा और लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. अब तो ये किसी भूतहा जगह जैसा लगने लगा है. सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए, लेकिन अब इसे देखने तक नहीं आ रहे. इससे अच्छा तो इस पैसे को किसी और विकास कार्य में लगा देते.
राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि करोड़ों रुपए की लागत से बना यह सेंटर जंगल में तब्दील हो गया है. सरकार को तत्काल इस पर एक्शन लेना चाहिए. ताकि, इसे फिर से उपयोग में लाया जा सके और स्थानीय लोगों को इसका फायदा मिल सके.
कन्वेंशन सेंटर का निर्माण काफी साल पहले किया गया था. जिसे लेकर टेंडर की प्रक्रिया की गई थी, लेकिन कोई भी आवेदक नहीं आया. अब एक बार फिर टेंडर प्रक्रिया शुरू की जा रही है. ताकि, इस कन्वेंशन सेंटर को उपयोग में लाया जा सके.
जंगल में तब्दील होते इस कन्वेंशन सेंटर को लेकर यही सवाल उठता है कि जब करोड़ों की लागत से इतनी बड़ी परियोजना बनाई गई थी, तो उसके संचालन की ठोस योजना क्यों नहीं बनाई गई? क्या सरकार सिर्फ पैसे खर्च करने के लिए प्रोजेक्ट शुरू कर रही है? अगर वाकई इस सेंटर को फिर से शुरू किया जाना है तो आखिर कब?
अकसर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं, भव्य उद्घाटन होता है और फोटो खिंचवाए जाते हैं, लेकिन फिर धीरे-धीरे सब भुला दिया जाता है. अब यह कन्वेंशन सेंटर भी उसी सरकारी उदासीनता का शिकार होता नजर आ रहा है. अब देखने वाली ये होगी कि क्या इस बार सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी या नहीं।
