पीएम मोदी ने रविवार को मन की बात के 122वें एपिसोड में उत्तराखंड में हल्द्वानी के रहने वाले 65 साल के जीवन चंद्र जोशी की प्रेरक यात्रा के बारे में पूरे देश को बताया।
प्रधानमंत्री ने जीवन चंद्र जोशी की क्रिएटिविटी की जमकर तारीफ की, पीएम ने बताया कि कैसे जीवन चंद्र जोशी ने चीड़ की बेकार पड़ी छाल को कला के शानदार कामों में बदल दिया, पीएम ने उन्हें एक जीवित प्रेरणा और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया।
ये सभी शानदार कलाकृतियां लकड़ी से नहीं बल्कि पेड़ों से प्राकृतिक रूप से गिरने वाली सूखी चीड़ की छाल से बनाई गई हैं।
जीवन चंद्र जोशी तीन दशकों से इस अनूठी कला का अभ्यास कर रहे हैं, जिसे बैगेट आर्ट के नाम से जाना जाता है।
जीवन चंद्र जोशी का कहना है कि वे युवाओं को ये कौशल सिखाना चाहते हैं और उनके लिए एक प्रशिक्षण संस्थान खोलना चाहते हैं। लेकिन सीमित वित्तीय संसाधन एक बड़ी बाधा बने हुए हैं।
प्रधानमंत्री के जिक्र के बाद स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि राज्य हस्तशिल्प योजनाओं के माध्यम से जीवन जोशी जैसे कारीगरों को समर्थन देने की पूरी कोशिश होगी। जिसमें वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना भी शामिल है।
जीवन जोशी के काम को इंस्टीट्यूशनल प्लेटफार्म्स के जरिए व्यापक रूप से प्रचारित किया गया है और पूरे उत्तराखंड में अलग-अलग मंचों पर प्रदर्शित किया गया है।
स्थानीय कारीगरी और दृढ़ संकल्प किस तरह राष्ट्रीय पहचान दिला सकते हैं, इसका एक शानदार उदाहरण जीवन जोशी की ये कहानी है।
कई सालों की कड़ी मेहनत और पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम में उनके उल्लेख तक, जीवन चंद्र जोशी का सफ़र उत्तराखंड के कारीगर समुदाय के लिए गर्व का क्षण है।
