दून में मलिन बस्तियों को धामी सरकार बड़ी राहत देने के मूड में दिखाई दे रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जल्द ही उत्तराखंड सरकार 2016 के बाद बनी बस्तियों को बसाने के लिए अध्यादेश में संशोधन कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो मलिन बस्तियों में रहने वाले उन तमाम लोगों को राहत मिल जाएगी जो इस समय अतिक्रमण हटाओ अभियान के अंतर्गत आ रहे हैं। सूत्रों की माने तो धामी सरकार 2016 की कट ऑफ़ डेट को आगे बढाकर 2022 कर सकती है। बताया जा रहा है।
उत्तराखंड सरकार जल्द ही ये फैसला लेने वाली है। यही कारण है की NGT के आदेश पर 27 मई को शुरू हुआ अतिक्रमण हटाओ अभियान दो दिन बाद ही थम गया। हालांकि देहरादून नगर निगम की अधूरी रिपोर्ट ने मलिन बस्तियों के के लोगों की मुश्किलन जरूर बढ़ा दी है ।गौरतलब है की नगर निगम ने 525 अतिक्रमण चिह्नित कर एनजीटी को रिपोर्ट सौंपकर अपना पल्ला झाड़ दिया। लेकिन इससे मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं। दोबारा की गई जांच में कई अतिक्रमण कार्रवाई के दायरे से बाहर हो चुके हैं।
इससे साफ है कि मलिन बस्ती में अतिक्रमण चिह्नित करने और उन पर कार्रवाई करने में NGT के आदेश का हवाला देकर जल्दबाजी की गई। बता दें NGT ने रिस्पना किनारे मलिन बस्तियों के चिह्निकरण के लिए सख्त आदेश दिए थे। मामले में देहरादून डीएम से लेकर प्रमुख सचिव तक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया था। इसके बाद निगम ने सर्वे कर 27 बस्तियों में 525 अतिक्रमण चिह्नित कर अपनी रिपोर्ट एनजीटी में सौंप दी थी।NGT को सौंपी रिपोर्ट में 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर, 413 MDDA की भूमि पर और करीब 12 मसूरी नगर पालिका क्षेत्र में पाए गए थे। नगर निगम ने 89 अतिक्रमण के संबंध में संबंधित लोगों से आपत्तियां मांगी थी।
लोगों ने अपने कागजात जमा कराने शुरू किए तो निगम को भी बैकफुट पर आना पड़ा और निगम अपनी ही रिपोर्ट को बदलने के लिए मजबूर हो गया। पहले 89 अतिक्रमण पर कार्रवाई होनी थी जांच के बाद वह घटकर 74 रह गए। इसके बाद नगर निगम ने 54 अतिक्रमण पर कार्रवाई की और 20 पर कार्रवाई शेष रह गई। अब इन 20 की दोबारा जांच हुई तो बुधवार रात तक 10 चिह्नित अतिक्रमण कार्रवाई के दायरे से बाहर हो गए। कुल चिह्नित अतिक्रमण 525 हैं।