सहस्त्रताल ट्रैकिंग हादसे में जो लोग शिकार बने हैं, उनके परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। ऐसे खतरनाक मौसम बदलाव के समय में सुरक्षित रहना महत्वपूर्ण होता है। इस हादसे से सीख को साझा करके, हम सभी को अगली बार अधिक सतर्क और सजग रहना चाहिए। ट्रैकिंग के लिए जाने वाले सभी लोगों के लिए एक विशेष सतर्कता की अपील की जाती है। उन्हें सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए। श्रीरामुलु सुधाकर ने बताया, उनकी पत्नी आशा सुधाकर (70) भी सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी थी।
ट्रैक पर गए सभी ट्रैकर अनुभवी थे। तीन जून को 20 ट्रैकर सफलतापूर्वक सहस्त्रताल तक पहुंचकर लौट रहे थे कि दोपहर बाद अचानक मौसम बदल गया। उनके कैंप से करीब दो घंटे का रास्ता बचा था। मौसम बदलने के कारण बर्फीला तूफान आया, जिससे कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था। तब सभी ने एक पत्थर के नीचे रात बिताने का निर्णय लिया, लेकिन अत्यधिक ठंड के चलते हाइपोथर्मियां जैसी स्थिति से सबसे पहले महिला ट्रैकर की मौत हुई। उसके बाद अन्य की भी हालत बिगड़ने लगी ।
आठ अन्य ट्रैकरों की मौत हो गई। मरने वालों में उनकी पत्नी आशा भी शामिल है। सुधाकर बताते हैं कि वे पत्नी के साथ पहले भी यहां ट्रैकिंग के लिए आ चुके थे। ट्रैकर सुधाकर व रितिका जिंदल ने बताया, उनके गाइडों ने उन्हें बचाने के लिए जान लगा दी। गाइड राजेश ने विषम परिस्थितियों में करीब 16 से 18 किमी दूरी तय कर नीचे बेस कैंप तक आए। रास्ते से ही उन्होंने हादसे की सूचना ट्रैकिंग एजेंसी के मालिक को दे दी थी।
जिसके बाद ट्रैकिंग एजेंसी के मालिक ने हादसे की जानकारी प्रशासन को देकर मदद मांगी। सुधाकर ने बताया, उनके गाइड प्रयास नहीं करते, तो हादसे में मृतकों की संख्या कहीं अधिक होती। 22 सदस्यीय ट्रैकिंग दल में 10 महिलाएं और 12 पुरुष थे। हादसे में जान गंवाने वाली सर्वाधिक महिला ट्रैकर हैं। हादसे में छह महिला और तीन पुरुष ट्रैकरों की मौत हुई। सबसे पहले जिस महिला ट्रैकर की मौत हुई थी उसका नाम अनीता रंगप्पा था