हर दल कर रहा छल गौ माता के प्राण अब गौ मतदाता के हाथ

ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज  ने कहा कि कहने को तो हर पार्टी और हर नेता अपने को गौ भक्त कहता अया है पर आजादी के बाद के 70 वर्षां का आंकड़ा बहुत स्पष्टता से यह कह रहा है कि अभी तक देश की सत्ता में वह दल या दिल रखने वाला नेता नहीं पहुंचा है। जो गाय को माता कहकर पुकार सके और गौ हत्यारों को दंडित करने के लिए कानून बना सके। इसलिए अब गौ भक्तों के लिए हर हिन्दू को गौ मतदाता बनकर गौ रक्षा का अपना दायित्व निभाना होगा।

उक्त उदगार परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 ने आज दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब के सभागार में उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

ज्ञात हो कि ‘परमाराध्य’ ने गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के अंतर्गत आज पूरे दिन दिल्ली की सडक़ों पर यात्रा कर विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर स्वयं जाकर उनसे सीधा सवाल पूछा कि आप गौ रक्षा के पक्ष में हैं या विपक्ष में?

परमाराध्य ने आगे कहा कि हर दल सनातनी जनता से छल करता आ रहा है। सनातनी जनता के सामने स्वयं को गौ भक्त बताते हैं और बाद में आंकड़े बिल्कुल इसके विपरीत आते हैं। अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि कोई भी दल गाय के साथ नहीं खडृा है। तब यह दायित्व हर उस मतदाता का हो जाता है, जो गौ हत्या नहीं चाहता। इसलिए अब हर गौ भक्त मतदाता को गौ रक्षा के लिए मतदान का संकल्प लेना होगा।

 

*हम चलाएंगे पंच सूत्री कार्यक्रम*

 

गौ रक्षा सुनिश्चित करने के बाद मंच के द्वारा पंच सूत्रीय कार्यक्रम चलाया जाएगा, जो किए हैं…

1. गाय-गवय की साफ पहचान

2. कम से कम 33 कोटि गौ मतदाता को संकल्प कराना

3 . 3लाख रामाधाम का निर्माण/संचालन

4. बूचडख़ानों पर धावा

5. गौ रक्षा सेना द्वारा राज्यों की सीमा पर चौकसी

 

गाय हमारी माता है, उसमें पवित्रता विद्यमान है कि उसका मल-मूत्र भी स्वयं तो पवित्र है ही हम अपवित्र को भी पवित्र कर देता है। यह गुण शुद्ध गाय में ही विद्यमान है, जिन्हें हम देसी गाय या रामा गाय के नाम से जानते हैं। विदेशी नस्ल की गाय जैसी दिखने वाली प्रजाति हमारी वेदलक्षणा गाय नहीं है और उसके दूध या गोबर-गौमूत्र में वे गुण नहीं, जिनके लिए गाय को जाना गया है। यही स्थिति संकरीकृत प्राणी की भी है, वह गाय जैसी है पर गाय नहीं।

 

संस्कृत भाषा में जो गाय जैसा हो, पर गाय न हो उसे गवय कहा जाता है। इसलिए हमारी पहली जरूरत गाय और गवय के भेद को स्पष्ट रूप से जान लेने की है।

33 कोटि गौ मतदाता

वैसे तो हर गौ प्रेमी हिन्दू को गौ मतदाता होना चाहिए। पर गौ माता की रक्षा के लिए 33 कोटि गौ मतदाताओं को संकल्पित कराने के लिए हमें काम करना होगा ।

uttarakhandtime
Author: uttarakhandtime

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स