उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही के चलते आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथिक पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हजारों छात्रों का भविष्य आज गहरे संकट में फंसा हुआ है। विश्वविद्यालय की ओर से समय पर परीक्षाएँ न कराना और घोषित परीक्षाओं के परिणामों को महीनों तक रोके रखना छात्रों की शिक्षा, करियर और मानसिक स्वास्थ्य—तीनों पर बुरा असर डाल रहा है। विशेषकर राज्य के एकमात्र चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के छात्रों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर अजय विश्वकर्मा ने इस गंभीर स्थिति पर चिंता जताते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति को एक विस्तृत पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में स्पष्ट किया है कि यदि समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग द्वारा दो बार विश्वविद्यालय को निर्देश जारी किए गए हैं, फिर भी निष्क्रियता बनी हुई है।
इससे छात्रों में गहरी निराशा और चिंता का माहौल है।जबकि छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से सकारात्मक निर्णय लेने की मांग कर रहे हैं।देहरादून के हर्रावाला स्थित आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुल सचिव राम की शरण शर्मा ने छात्रों को समझने का बहुत प्रयास किया, लेकिन वह अपनी मांग पर अड़े हैं। छात्रों ने कहा कि रिजल्ट में देरी की वजह से उनका भविष्य खराब हो रहा है।
