नैनीताल- आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चुनावी प्रचार-प्रसार अभियान चरम पर है। इन दिनों पहाड़ों में फसल पक कर तैयार हो रही है। प्रचार के लिए गांवों में कई नेता वोट पाने के लिए गेहूं की मड़ाई से लेकर कटाई तक करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। स्थिति तो यह भी आ गयी है।
कि अब नेता भी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले बंदर तक को भगा रहे हैं। वहीं ग्रामीण महिलाएं कह रही हैं उनसे हर सीजन में आकर मदद करने के लिए कह रहे हैं। उत्तराखंड की सभी पांच सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान है। जैसे जैसे मतदान का समय नजदीक आता जा रहा है। राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार-प्रसार अभियान तेज कर दिया है।
इन दिनों प्रत्याशी और उनके समर्थक मतदाताओं को रिझाने के लिए तमाम हथकंडे अपना रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रबी की फसल पक गई है। प्रत्याशी और उनके समर्थक खेतों में काम रही महिलाओं और अन्य लोगों को देखकर उनके हाथ से दातुली लेकर फसल की कटाई भी कर रहे हैं।ये नहीं आंगन में सूख रही गेहूं, जौ, मसूर की फसल की मड़ाई और कुटाई भी ग्रामीण महिलाएं भी मजाकिया अंदाज में नेताओं से हर सीजन में आकर फसलों की कटाई मड़ाई और खेतों से बंदर भगाने में मदद करने की अपील भी कर रहे हैं। चुनाव प्रचार-प्रसार के दौरान गांवों में प्रत्याशी और उनके सर्मथकों को समस्याएं बता रहे हैं।
ग्रामीणों लोगों ने कहना कि चुनाव प्रचार प्रसार के दौरान नेता गांवों में आते हैं। चुनाव खत्म होने के बाद गायब हो जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आज तक उनकी पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य सहित कई अन्य समस्याओं का समाधान तो हो नहीं पाया है। जब नेताजी से ग्रामीणों के सवाल किये तो सर नीचे कर ले रहे हैं। कई ग्रामीण तो कह रहे हैं जिस तरह अब आ रहे हो चुनाव बाद भी आओगे क्या?