हिमालय में मौसम परिवर्तन के कई संकेत|

हिमालय में मौसम परिवर्तन के कई संकेत मिलने ल गये है। उत्तराखण्ड की बात करे तो यहां भी मौसम के कारण कई परिवर्तन सामने आ रहे है। बुरांश का फूल जो 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच अपने पूरे यौवन पर रहता था वह जनवरी के अन्त में ही फूल दे गया है। इसी तरह इस उत्तराखण्ड हिमालय में अलग अलग पक्षियों को यहां पर मई के अन्त तक देखा जा सकता था। मगर यह पक्षियां भी अब फरवरी में ही वापस जाने लग गई है। अर्थात पक्षीयों ने समय से पहले ही लौटना शुरू कर दिया। मौसम में हो रहे बदलाव को यहां देखा जा सकता है। आसन, रामसर साइट से छह प्रजातियों के परिंदो ने अपने हिमालयी ठिकाने बदले है और वापस लौटे गये।

72 घण्टे बाद मार्च का महिना शुरू होने वाला है। लेकिन, झील में प्रवास कर रहे रेड नेप्ड इबिस, वूली नेक्ड स्ट्रोक, फेरूजिनस पोचार्ड, ग्रेट क्रिस्टड ग्रेब, ओपन बिल, मालार्ड प्रजाति के पक्षी प्रवास काल पूरा करके अपने वतन वापस लौट गए हैं।

मौसम में बदलाव और तापमान में हो रही वृद्धि के चलते आसन रामसर साइट में प्रवास करने वाले विदेशी मेहमान अपने मूल स्थान लौटने लगे हैं। पहले चरण में छह प्रजातियों के परिंदों ने आसन स्थित अपने अस्थायी ठिकाने को अलविदा कह दिया है।

रामसर साइट में हर साल सर्दी का मौसम शुरू होते ही साइबेरिया, यूरोप से लेकर रूस, अफगानिस्तान, ईरान, इराक समेत हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों से बड़ी संख्या में पक्षी पहुंचते हैं। यहां मार्च के पहले सप्ताह तक और कुछ तो मई के पहले सप्ताह तक भी प्रवास करते हैं। हालांकि, अभी मार्च का पहला सप्ताह शुरू होने में एक दिन एक रात शेष हैं। लेकिन, झील में प्रवास कर रहे रेड नेप्ड इबिस, वूली नेक्ड स्ट्रोक, फेरूजिनस पोचार्ड, ग्रेट क्रिस्टड ग्रेब, ओपन बिल, मालार्ड प्रजाति के पक्षी प्रवास काल पूरा करके अपने वतन वापस लौट गए हैं।

पक्षी विशेषज्ञ अजय शर्मा ने बताया कि प्रवासी पक्षियों का प्रवास काल मौसम पर आधारित होता है। गर्मी बढ़ने के साथ ही उनके वापस लौटने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। उन्होंने बताया कि इस बार फरवरी के दूसरे सप्ताह से ही तापमान बढ़ने लगा था। इसके कारण पक्षी समय से पहले ही लौटना शुरू हो गए हैं।

पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सैना बताते हैं कि प्रवासी पक्षियों के प्रवासकाल का समय धीरे-धीरे पूरा हो रहा है। हालांकि आने वाले एक दो दिनों में मौसम के बदलने व तापमान में कमी की संभावना जताई गई है। ऐसे में पक्षियों की वापसी के शुरू हुए क्रम को कुछ दिन के लिए ब्रेक भी लग सकता है।
कुलमिलाकर इस तरह के परिवर्तन आने वाले दिनो के लिए ऐसा संकेत कर रहे है कि प्रकृति का बेजा दोहन हो रहा है। जिसके परिणामस्वरूप इस मध्य हिमालय में बर्फवारी का कम होना। बेमौसमी बरसात का होना, समय से पहले विभिन्न प्रजातियो के फूल आ जाना और प्रवास पर आ चुके परिन्दे समय से पहले लौट जाना का मतलब है कि प्रकृति अपने अनुकूल में नहीं है।

पर्यावरण के जानकार बताते है कि प्रकृति में विचलन करने वाले जीव व निर्जीव यदि समय से पहले बदलने लगे या प्रकृति के प्रकोप से कुछ प्रजातियो का लोप हो जाये तो इसे मानव जनित आपदा कहा जायेगा। इसलिए हमें स्वयं तय करना होगा कि प्रकृति का सन्तुलन बनाये रखने के लिए अपनी सुख सुविधा बावत प्रकृति का विदोहन ना करें। जबकि हमने भोग विलासिता के कारण प्राकृतिक संसाधनो का विदोहन किया है जिसका हश्र सभी के सामने है। इस परिस्थिति से हम सभी को बाज आना होगा।

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Author: uttarakhandtime

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