उत्तराखण्ड़- राज्य गठन से पहले भी उत्तराखंड में क्रांति दल की काफी धमक बनी रही है राज्य बनने के बाद भी इस दल पर लोगों का भरोसा कायम रहा है लेकिन आज स्थिति ऐसी हो गई है कि लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा सीट पर दल का प्रत्याशी तक नहीं मिल पा रहा है । वही आपको बता दे कि 25 जुलाई 1979 को मसूरी में पृथक पर्वतीय राज्य की अवधारणा के साथ उक्रांद का गठन हुआ। यूपी के शिक्षा निदेशक और कुमाऊं विवि के पहले कुलपति रहे गणाईगंगोली निवासी उक्रांद ने पृथक राज्य के लिए लगातार आंदोलन किए थे ।
वहीं वर्ष 1985 में काशी सिंह ऐरी डीडीहाट विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने। वर्ष 1989 के चुनाव में डीडीहाट की जनता ने एक बार फिर ऐरी को यूपी विधानसभा भेजा। वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में ऐरी ने डीडीहाट से जीत की हैट्रिक लगाई। वही दौर था जब रानीखेत से वहां की जनता जसवंत सिंह बिष्ट को विधानसभा में भेजती रही। वर्ष 2002 में हुए विधानसभा के पहले चुनाव में कनालीछीना से काशी सिंह ऐरी जीते तो द्वाराहाट से स्वर्गीय विपिन त्रिपाठी, नैनीताल से डॉ. नारायण सिंह जंतवाल, यमनोत्री से प्रीतम पंवार को जनता ने विधानसभा में भेजा। और 2007 में दल का प्रतिनिधित्व घटकर तीन रह गया।
द्वाराहाट से पुष्पेश त्रिपाठी, देवप्रयाग से दिवाकर भट्ट, नरेंद्रनगर से ओमगोपाल रावत विधायक चुने गए। ऐरी कनालीछीना से हार गए। 2012 के चुनाव में उक्रांद पी से ऐरी धारचूला से, पुष्पेश त्रिपाठी द्वाराहाट से चुनाव हार गए। उक्रांद डी के दिवाकर भट्ट भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के बावजूद चुनाव हारे। 2012 में यमनोत्री सीट से प्रीतम पंवार उक्रांद से एकमात्र विधायक चुने गए और कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में उक्रांद एक भी सीट नहीं जीत पाया। तब प्रीतम पंवार यमनोत्री से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते । बाद में भाजपा में शामिल हो गए। 2022 के चुनाव में भी दल के हाथ निराशा ही लगी। डॉ. डीडी पंत दल के संस्थापक अध्यक्ष बने। उक्रांद गठन के मात्र एक साल में 1980 में हुए चुनाव में रानीखेत से उक्रांद के जसवंत सिंह बिष्ट जीत दर्ज कर उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे।