- देहरादून
आज उतराखण्ड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन की देहरादून जिले की जिला कार्यकारिणी का चुनाव संगठन भवन, माजरा में सम्पन्न हुआ जिसमें श्री नवनीत चौहान को जिला अध्यक्ष, श्री नरेंद्र सिंह चौहान एवं अनु चौहान को उपाध्यक्ष एवं श्री श्याम सुन्दर को जिला सचिव चुना गया | संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया श्री जगपाल सिंह एवं श्री विमल कुल्याल द्वारा सम्पंन कराईं गई I उक्त चुनाव में देहरादून जिले के UPCL एवं PTCUL के समस्त अवर अभियंता संवर्ग के सदस्य सम्मलित रहे | नई कार्यकारिणी द्वारा उतराखण्ड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के दिनांक 28.05.25 से आरम्भ होने वाले आन्दोलन में सम्पूर्ण भगीदारी एवं सहयोग हेतु प्रतिज्ञा ले गयी | उक्त चुना में केंद्रीय अध्यक्ष श्री रविंदर सैनी . केंद्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री पवन रावत , प्रांतीय अध्यक्ष श्री सुनील उनियाल , प्रांतीय महासचिव श्री राहुल अग्रवाल इत्यादि उपस्थित रहे |
नवनीत चौहान द्वारा सभा की अध्यक्षता करते हुए कहा गया कि वरिष्ठता विवाद में माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल के निर्णय के उपरांत उत्तराखण्ड पावर कॉरपोरेशन लि० की उक्त निर्णय आदेश पर स्पष्टीकरण अनुरोध याचिका पर स्पष्ट आदेश निर्गत करने के बाद माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित समयावधि बीतने के बाद भी निगम द्वारा सहायक अभियंता से अधिशासी अभियंता के पद पर पदोन्नति हेतु कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। बल्कि पदोन्नति प्रकरण को बेवजह लटकाने-उलझाने के कारण विगत 8-9 वर्षों से पदोन्नति की बाट जोह रहे सदस्यों में गहन असंतोष व्याप्त है। विदित हो कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उक्त वाद की सुनवाई के दौरान निगम प्रबंधन की गलत कार्यशैली के कारण निगम प्रबंधन पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था, जो कि निगम प्रबंधन की हठधर्मिता और अन्याय को दर्शाता है।
माननीय उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद निगम प्रबंधन द्वारा पदोन्नति कार्यवाही करने के बजाय शासन स्तर पर कमेटी बनवाना, यह दर्शाता है कि निगम प्रबंधन मामले के समाधान को लेकर क़तई गम्भीर नहीं है अन्यथा कोई भी कमेटी क्या माननीय न्यायालय से ऊपर हो सकती है? क्या निगम प्रबंधन प्रचलित नियमों का ईमानदारी से अनुपालन कर वरिष्ठता निर्धारित करने में सक्षम नहीं है? उत्तराखंड के मूल निवासी अवर अभियंता संवर्ग और प्रोन्नत अभियंताओं के साथ निगम प्रबंधन के लगातार अनदेखी और अन्यायपूर्ण रवैये ने एसोसिएशन को आन्दोलन का मार्ग अपनाने को विवश कर दिया है।
