साहनी आत्महत्या प्रकरण में अब गुप्ता बंधुओं और उनके बहनोई की कुंडलियां धीरे-धीरे खुल रही हैं। बहाना रिहायशी कॉम्प्लेक्स के निर्माण में साझेदारी का था, लेकिन अपने काले धन को सफेद करने में भी गुप्ता ने कमी नहीं छोड़ी। पुलिस जांच में अब तक 35 से 40 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के लिहाज से लेनदेन की बात सामने आई है। ऐसे में ईडी के अधिकारियों ने भी पुलिस कप्तान से मुलाकात कर इसकी जानकारी जुटाई है।बाबा साहनी को प्रोजेक्ट में जब किसी निवेशक की जरूरत पड़ी तो उन्होंने अपने परिचित बलजीत सोनी से मुलाकात की। सोनी ने उन्हें गुप्ता बंधुओं के बहनोई अनिल गुप्ता का नाम सुझा दिया। साहनी भी तैयार हो गए। अनिल गुप्ता ने शुरुआत में 25 करोड़ रुपये निवेश किया।
अनिल तो परदे के पीछे हो गया और सामने गुप्ता बंधुओं में से एक अजय गुप्ता आ गया। अब जैसे अजय गुप्ता को अपने काले धन को सफेद करने का मौका मिल गया। डील अनिल गुप्ता की कंपनी से साहनी की कंपनी के शेयर के बदले कारोबार की हुई थी, लेकिन अजय गुप्ता अब अपनी कंपनी से लेनदेन करने लगा। अब तक साहनी के सुसाइड नोट के आधार पर कार्रवाई की गई है। हालांकि, साहनी ने गुप्ता के इस खेल का जिक्र अपने सुसाइड नोट में नहीं किया था।
लेकिन अब माना जा रहा है कि गुप्ता ने साहनी को इस बारे में बताया होगा कि वे मनी लॉन्ड्रिंग के लिए भी उनकी कंपनी का इस्तेमाल कर रहे हैं। जब साहनी फंसे तो उन्हें लगा होगा कि वह गुप्ता के साथ केंद्रीय एजेंसियों के चंगुल में फंस सकते हैं या गुप्ता ही उन्हें इस तरह के षड्यंत्र में फंसा सकते हैं। इसी कारण से उन्होंने आत्मघाती कदम उठा लिया। ईडी के अधिकारियों ने मुलाकात की थी। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के सारे तथ्य और लेनदेन की जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। पुलिस इस मामले में गंभीरता से जांच कर रही है।