. शुगर के उन रोगियों के लिए खुशखबरी है, जो चाहकर भी इसलिए चावल नहीं खा सकते, क्योंकि उनके डॉक्टर ने मना किया है। ऐसे शुगर के रोगियों को अब चावल खाने को लेकर मन नहीं मारना पड़ेगा। धान की नई प्रजाति के अनुसंधान से यह मुमकिन हो पाएगा। इसी तरह iron की कमी से जूझ रही महिलाओं को भी चावल के सेवन से ही iron की खुराक मिल जाएगी। राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक धान की ये दोनों प्रजातियां विकसित करने का प्रयास कर रहा है। बता दें दून में एक कार्यक्रम में पहुंचे संस्थान के निदेशक डॉ. AK नायक ने इन अनुसंधानों को साझा किया। उन्होंने कहा कि खाद्य सामग्री का चावल प्रमुख हिस्सा है। देश में एक दो नहीं, बल्कि 1450 धान की प्रजातियां मिलती हैं। धान की नई प्रजातियों को विकसित करने और उत्पादन को बढ़ाने के साथ उसके गुणों को भी और बढ़ाने को लेकर राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान काम कर रहा है।
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