मुख्य कोषाधिकारी और लेखाकार के मामले में हुई सुनवाई उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को हुई सुनवाई में जिला कोषागार नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश कुमार राणा और लेखाकार बसंत कुमार जोशी के विरुद्ध रिश्वत मामले में विजिलेंस से पूछा कि बगैर एफआईआर आरोपी को गिरफ्तार क्यों किया गया साथ ही मालूम किया कि प्रिवेंशन आफॅ करप्शन की धारा 8 के प्रधान के तहत रिश्वत देने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की गई न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल के समक्ष सुबह मामले की सुनवाई हुई कोर्ट के सवाल का कोई संतोषजनक जवाब न मिलने पर कोर्ट ने दो बार पुनः सुनवाई की ओर सीबीआई की वरिष्ठ अधिकारी को तलब कर ऐसे मामले की प्रक्रिया की जानकारी ली सीबीआई के अधिकारी ने बताया कि शिकायत मिलने पर उसकी जांच की जाती है और शिकायत सही होने पर एफआईआर दर्ज के बाद गिरफ्तारी की जाती है इस प्रकरण में विजिलेंस की ओर से गिरफ्तारी के बाद एफआईआर दर्ज होने पर कोर्ट ने आपत्ति जताई इस मुद्दे पर कोई संतोषजनक जवाब न मिलने पर कोर्ट ने कहा कि इसका जवाब कल तक बताएं और सुनवाई को जारी रखने के निर्देश दिए मामले के अनुसार न्यायालय कर्मी ने स्वयं और पांच अन्य के सहकर्मियों की एसीपी पर हस्ताक्षर के लिए मुख्य कोषाधिकारी की ओर से एक लाख बीस हजार रुपए की रिश्वत की मांग का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी इस पर विजिलेंस की टीम ने योजनाबद्ध ढंग से 9 मई को मुख्य कोषाधिकारी और लेखाकार को गिरफ्तार कर कोर्ट के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा पर भेज दिया था निचली अदालत से राणा की जमानत याचिका खारिज हो गई थी इसके बाद राणा ने हाईकोर्ट में अपील कर कहा था कि उसने रिश्वत नहीं ली थी उसे झूठा फसाया गया
