उत्तराखंड में होने वाले चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करते हुए कि मतदान में कमी हुई है, जो पिछले चुनाव के तुलनात्मक आंकड़ों से गिरावट का कारण बनी है। इसमें कई कारणों का संयोजन हो सकता है, जैसे कि मतदान प्रक्रिया में कोई तकनीकी या प्रबंधन संबंधित समस्या, लोगों की सामाजिक या राजनीतिक उत्सुकता में कमी, या फिर चुनाव आयोग की ओर से प्रयासों में कमी।उत्तराखंड में मतदान की प्रक्रिया में सुधार के लिए कई पहलू उठाए हैं, जैसे कि 85 से अधिक आयु वाले मतदाताओं व दिव्यांग मतदाताओं को घर से मतदान की सुविधा देना, महिलाओं को विशेष सुविधाएं प्रदान करना, और जागरूकता को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद भी मतदान में गिरावट हुई है।
जो सोचने का विषय है। आंकड़ों के अनुसार यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड के साथ अन्य राज्यों में भी मतदान में कमी हुई है। इसे समझने के लिए और गहराई से अध्ययन करने की आवश्यकता है कि यह कमी किस कारणों के कारण हुई है और कैसे इसे दूर किया जा सकता है। 85 से अधिक आयु वाले मतदाताओं व दिव्यांग मतदाताओं को घर से मतदान की सुविधा दी गई। महिलाओं को विशेष सुविधाएं मिली। इन सबके बावजूद मत प्रतिशत गिर गया। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों का विश्लेषण करें तो साफ हो रहा कि 36 राज्यों में से उत्तराखंड 57.22 प्रतिशत मतों के साथ 33वें पायदान पर है। पिछले चुनाव में 30वें पायदान पर था। 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य का मत प्रतिशत 61.88 था जो इस बार गिर गया।
हिमाचल में इस बार मतदान प्रतिशत 70.90 प्रतिशत रहा है। पिछले चुनाव में 72.42 प्रतिशत था देशभर में कम मतदान की चर्चाओं के बीच अहम तथ्य ये है कि 2019 के चुनाव के मुकाबले इस साल मतदान का राष्ट्रीय औसत भी गिर गया है। 2019 में राष्ट्रीय औसत 67.4 था जो इस बार गिरकर 65.79 प्रतिशत पर आ गया है। राज्यवार देखें तो 84.16 प्रतिशत के साथ लक्षद्वीप मतदान में पहले स्थान पर रहा, जबकि 56.19 प्रतिशत के साथ बिहार सबसे नीचे रहा। हिमाचल प्रदेश की तुलना में उत्तराखंड इस बार भी फिसड्डी रहा।
11 हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड 10वें स्थान पर है। 81.56 प्रतिशत के साथ असम पहले, 80.93 प्रतिशत के साथ त्रिपुरा दूसरे, 79.88 प्रतिशत के साथ सिक्किम तीसरे, 78.19 के साथ मणिपुर चौथे, 77.68 प्रतिशत के साथ अरुणाचल प्रदेश पांचवें, 76.60 प्रतिशत के साथ मेघालय छठे, 70.90 के साथ हिमाचल सातवें, 58.58 प्रतिशत के साथ जम्मू कश्मीर आठवें, 57.72 प्रतिशत के साथ नागालैंड नौंवें, 57.22 प्रतिशत के साथ उत्तराखंड 10वें और 56.87 प्रतिशत के साथ मिजोरम 11वें स्थान पर रहा।